Thursday, 18 February 2016

India Today Mood-of-the-Nation Opinion-Poll on Modi Government

बिहार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी पटखनी खा चुकी है. राज्य में केंद्र में सत्तासीन पार्टी की करारी हार हुई तो सवाल सियासत से लेकर सियासी नेतृत्व पर भी उठने लगे. विपक्ष के साथ अपनों ने भी नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता को लेकर सवाल खड़े किए. लेकिन भूली बात बिसारिए तो आगे यूपी का चुनाव है और ऐसे में यह सवाल महत्वपूर्ण हो जाता है कि 'देश का सियासी मिजाज' क्या है?

गिरा मोदी सरकार का ग्राफ
इंडिया टुडे ग्रुप और कार्वी ने देश के 19 राज्यों में 13576 मतदाताओं से यह जानना चाहा कि देश में इस वक्त प्रधानमंत्री मोदी की लहर पर कितना असर पड़ा है? इस सर्वे के जो नतीजे आए वो बताते हैं कि अगर अभी चुनाव हुए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुर्सी बच जाएगी, लेकिन यूपीए की सीटों में इजाफा हुआ है. सर्वे के मुताबिक, मौजूदा समय में चुनाव होने पर एनडीए को 286 सीटें मिलेंगे, जबकि यूपीए 110 सीटों पर कब्जा जमा सकती है.

गौर करने वाली बात यह है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के खाते में 336 सीटें आई थीं, ज‍बकि कांग्रेस 59 सीटों के साथ दहाई अंक पर ही सिमट गई थी. ताजा सर्वे में जहां, एनडीए की सीटों और वोट परसेंट में गिरावट आई है, वहीं यूपीए की सीटें दोगुनी हो गई हैं और उसके वोट प्रतिशतता में भी वृद्धि‍ हुई है.

दूसरी ओर, वोट परसेंटेज की बात करें तो अगर अभी चुनाव होते हैं तो एनडीए के खाते में 37 फीसदी वोट, यूपीए के खाते में 27 फीसदी और अन्य के हिस्से में 36 फीसदी वोट आने वाले हैं. क्षेत्रवार वोट के बंटवारे की बात करें तो देश के पूर्वी हिस्से से सबसे अधि‍क वोट एनडीए को मिलने वाले हैं. बीजेपी नीत एनडीए के खाते में 30 फीसदी वोट, यूपीए को 27 फीसदी जबकि अन्य धड़े को 43 फीसदी वोट मिलने की संभावना है.

महंगाई और भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा
देश के सामने मौजूदा वक्त में सबसे बड़े मुद्दों की बात करें तो सर्वे में शामिल मतदाताओं का मानना है कि महंगाई और भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है. दिलचस्प है कि दोनों ही मुद्दों को सर्वे में शामिल 34-34 फीसदी लोगों ने सबसे बड़ा माना है. जबकि सांप्रदायिक तनाव, जिसको लेकर कि बीते दिनों में सबसे ज्यादा हंगामा बरपा उसे सबसे कम तवज्जो दी गई. सर्वे में सिर्फ 1 फीसदी लोगों ने इसे महत्ता दी है.

अच्छे दिन लाने में विफल रही सरकार
साल 2014 में 'अच्छे दिनों' का नारा लेकर सियासत के शि‍खर पर पहुंची मोदी सरकार इसे देश के जन तक पहुंचाने में नाकाम रही है. सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, 53 फीसदी लोगों ने या तो यह कहा कि अच्छे दिन नहीं आए हैं या फिर यह कि तब और अब में कोई फर्क आया नहीं. जबकि सिर्फ 40 फीसदी लोगों ने ही यह कहा कि मोदी सरकार 'अच्छे दिन' लेकर आई है.

कैसा रहा सरकार का कामकाज
मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल के प्रदर्शन पर भी लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है. 47 फीसदी ने इसे यूपीए के मुकाबले बेहतर बताया है, जबकि 42 फीसदी ने इसे यूपीए से खराब (15%) या यूपीए के समान (27%) माना है.

कब आएगा कालाधन?
सर्वे में शामिल 53 फीसदी लोगों ने यह भी कहा कि मोदी सरकार विदेशी बैंकों से कालाधन वापस लाने में अफसल रही है. जबकि 33 फीसदी ने कहा कि उन्हें अभी भी सरकार के वादे और इस ओर प्रयासों में विश्वास है.

महंगाई ने छुड़ाए पसीने
इसी तरह महंगाई के मुद्दे पर भी नरेंद्र मोदी की सरकार जन आकांक्षाओं के आगे घुटने टेकती नजर आ रही है. सर्वे में शामिल 38 फीसदी लोगों का कहना है मौजूदा हालात में सरकार का महंगाई पर कोई नियंत्रण नहीं है, जबकि 20 फीसदी महंगाई के मोर्चे पर एनडीए सरकार का हाल भी यूपीए सरकार जैसा मानकर चल रहे हैं. हालांकि 34 फीसदी का कहना है कि महंगाई पर सरकार काबू पाने में सफल रही है.

दूसरी ओर, जब लोगों से पूछा गया कि क्या मोदी सरकार के आने के बाद उनके आर्थिक हालात में बदलाव आए हैं? इसके जवाब में 43 फीसदी ने कहा कि 'हां' उनके हालात पहले से बेहतर हुए हैं.

भ्रष्टाचार पर मिलीजुली प्रतिक्रिया
भ्रष्टाचार को देश के सबसे मुद्दों में शुमार करने वाली जनता का कहना है कि मोदी सरकार आंशिक रूप से ही सही, लेकिन भ्रष्टाचार पर काबू पाने में सफल रही है. सर्वे में शामिल लोगों में से 32 फीसदी ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार पर रोक लगा पाई है, जबकि 28 फीसदी ने इससे असहमति जताई, वहीं 31 फीसदी ने कहा कि करप्शन के मुद्दे पर मोदी सरकार का हाल भी मनमोहन सिंह की सरकार की तरह ही है.

कैसे किया गया सर्वे
इंडिया टुडे ग्रुप और कार्वी का यह सर्वे 24 जनवरी से 5 फरवरी के बीच किया गया. इसके लिए 13576 लोगों से बात की गई. ये लो देश के 97 संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं, जो 19 राज्यों के 194 विधानसभा क्षेत्र भी हैं.
Source: http://aajtak.intoday.in

PM Modi's 'Make In India' Racks Up $222 Billion in Pledges

Mumbai: The "Make in India" summit in Mumbai that was inaugurated by Prime Minister Narendra Modi on the weekend has closed with $222 billion or Rs 15.2 lakh crore in investment pledges.

Amitabh Kant, Secretary of India's Department of Industrial Policy and Promotion (DIPP), said he expected 80-85 per cent of the pledges to convert into serious business, much of it from foreign investors. It can take 18 months to three years for a memorandum of understanding to yield a final investment, he added.

Research commissioned by the free-market Friedrich Naumann and Cato institutes has found the rate of conversion of such pledges into real investments in India has typically been far lower - with no state exceeding 20 per cent.

Among investments signed in the last seven days were a commitment by Oracle Corp for $400 million to set up nine business incubation centres.

The week-long event is the boldest since PM Modi launched the initiative to emulate China's export miracle back in 2014.

On buzz alone, the effort got off to a great start, with the prime ministers of Sweden and Finland attending Saturday's gala opening hosted by PM Modi. Nearly 50,000 delegates from 102 different countries attended the summit.

But 20 months after PM Modi swept to power with a promise of growth and jobs for India's 1.3 billion people, executives say more needs to be done, including improving infrastructure.

More pressingly, key legislation such as a goods and services tax and land acquisition bill are stuck in parliament.

"Make in India is a great initiative and has created a lot of positive sentiments," Vikas Agarwal, general manager of mobile phone maker OnePlus in India, told news agency Reuters. "Now the government needs to follow up with policies. That includes providing custom duty and export incentives, tax rationalisation and removal of ambiguous land acquisition policies."

Make In India has scored major wins, including a pledge by Taiwan's Foxconn to invest $5 billion in a new electronics manufacturing facility.

That has helped foreign direct investment to nearly double to $59 billion last year, the seventh highest level in the world, according to the United Nations Conference on Trade and Development.

Yet in critical aspects, India remains far behind its goals.

The proportion of manufacturing to gross domestic product has been stuck at around 17 per cent for five years, below the government's goal to ramp it up to 25 per cent, according to the Boston Consulting Group.

India has only created 4 million manufacturing jobs since 2010, according to Boston Consulting. At the current rate, India may only create 8 million jobs by 2022, well below the government's goal of 100 million. ($1 = 68.4550 rupees)
Source: NDTV.com